Section 13A of Hindu Marriage Act: तलाक की कार्यवाही में वैकल्पिक राहत

Section 13A of Hindu Marriage Act | Alternate relief in divorce proceedings

इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में विवाह-विच्छेद के लिए याचिका पर धारा 13(1) के खंड (ii), (vi) और (vii) के मामलों के आलावा, यदि न्यायालय परिस्थितियों को देखते हुए न्याय संगत समझता है, तो तलाक की डिक्री के स्थान पर न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित कर सकता है।

उदाहरण: भूरा और शीला पति पत्नी हैं। भूरा की दिमागी हालत सही नहीं होने की वजह से शीला ने भूरा से तलाक लेने के लिए न्यायलय में याचिका दर्ज कर दी, ऐसे मामले में यदि न्यायलय न्यायसंगत समझेगा, तो शीला और भूरा के लिए तलाक की डिक्री ना पारित करके न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित कर सकता है।

नोट 1: हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1-ii) में धर्मांतरण, जोकि पति और पत्नी दोनों के लिए तलाक का एक आधार है, दिया गया है।

नोट 2: हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1-vi) में परित्याग, जोकि पति और पत्नी दोनों के लिए तलाक का एक आधार है, दिया गया है।

नोट 3: हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1-vii) में अनुमानित मृत्यु, जोकि पति और पत्नी दोनों के लिए तलाक का एक आधार है, दिया गया है।

ये भी पढ़ें- Divorce by Mutual Consent in India (Section 13B of Hindu Marriage Act)

Section 13A of HMA

Section 13A of The Hindu Marriage Act, 1955

FAQ From Section 13A of HMA

किन मामलों में न्यायालय तलाक की जगह न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित कर सकता है?

धर्मांतरण, परित्याग और अनुमानित मृत्यु के मामलों को छोड़कर न्यायालय यदि उचित समझेगा, तो तलाक न देकर न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित कर सकता है।

Difficult Words of Section 13A of HMA

शब्दसरल अर्थ
विवाह-विच्छेदतलाक
धर्मांतरणधर्म परिवर्तन करना
परित्यागकिसी धार्मिक आश्रम में प्रवेश करके संसार का परित्याग करना
याचिकान्यायालय से किसी राहत की मांग के लिए लिखित औपचारिक प्रार्थना देकर आदेश के लिए निवेदन
डिक्रीन्यायिक आदेश

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Reference Link: India Code (The Hindu Marriage Act, 1955)

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