Section 482 BNSS | BNSS 482
482(1) BNSS | BNSS 482(1)
जब किसी व्यक्ति को यह विश्वास होता है कि उसे किसी गैर-जमानती अपराध के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है, तो वह इस धारा के तहत उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय से जमानत के लिए आवेदन कर सकता है; और यदि वह न्यायालय सही समझता है, तो वह आदेश दे सकता है कि ऐसी गिरफ्तारी की स्थिति में उसे जमानत पर छोड़ दिया जाए।
482(2) BNSS | BNSS 482(2)
जब उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय उपधारा (1) के अधीन निदेश देता है, तब वह उस विशिष्ट मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उन निदेशों में ऐसी शर्तें, जो वह ठीक समझे, सम्मिलित कर सकेगा, जिनके अन्तर्गत निम्नलिखित भी हैं—
- यह शर्त कि वह व्यक्ति पुलिस अधिकारी द्वारा पूछताछ के लिए जैसे और जब अपेक्षित हो, उपलब्ध होगा;
- यह शर्त है कि वह व्यक्ति, जो मामले के तथ्यों को जानने वाले किसी व्यक्ति से मिले, उसे सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से किसी प्रकार की प्रेरणा, धमकी या वादा देकर इस बात के लिए नहीं मनाएगा कि वह न्यायालय या पुलिस अधिकारी के सामने उन तथ्यों को प्रकट न करे;
- यह शर्त कि वह व्यक्ति न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ेगा;
- ऐसी अन्य शर्तें जो धारा 480 की उपधारा (3) के अधीन ऐसे अधिरोपित की जा सकती हैं, मानो उस धारा के अधीन जमानत मंजूर की गई हो।
482(3) BNSS | BNSS 482(3)
अगर किसी व्यक्ति को किसी अभियोग में पुलिस थाने के अधिकारी द्वारा बिना वारंट के गिरफ्तार किया जाता है, और वह गिरफ्तारी के समय या पुलिस अधिकारी की हिरासत में रहते हुए किसी भी समय जमानत देने के लिए तैयार होता है, तो उसे जमानत पर छोड़ दिया जाएगा। साथ ही, यदि उस अपराध का संज्ञान लेने वाला मजिस्ट्रेट यह तय करता है कि उस व्यक्ति के खिलाफ पहली बार ही वारंट जारी किया जाना उचित है, तो वह न्यायालय के आदेश के अनुसार उपधारा (1) के तहत जमानती वारंट जारी करेगा।
482(4) BNSS | BNSS 482(4)
इस धारा में दी गई कोई भी बात भारतीय दंड संहिता, 2023 की धारा 65 या धारा 70 की उपधारा (2) के तहत किए गए किसी अपराध के अभियोग में किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़े मामले पर लागू नहीं होगी।
नोट: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 482, कुछ परिवर्तनों के साथ दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के समरूप है।
Section 482 of BNSS Bare Act
Difficult words of BNSS Section 482
शब्द | सरल अर्थ |
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गैर-जमानती अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
निदेश | न्यायालय द्वारा किसी बिन्दु पर रोशनी डालना या किसी सम्बन्ध में विधि, स्वरूप या प्रणाली बताना |
अभियोग | किसी पर लगाया गया आरोप |
संज्ञान | सूचना प्राप्त करना |
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Reference Link: New Criminal Laws (BNSS), Ministry of Home Affairs