Section 12 of Hindu Marriage Act: शून्यकरणीय विवाह

Section 12 of Hindu Marriage Act | Voidable Marriage

Section 12(1) of Hindu Marriage Act

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1) के अनुसार, कोई विवाह इस अधिनियम के लागू होने के पहले या बाद में संपन्न किया गया है, तो निम्नलिखित आधारों पर शून्यकरणीय (रद्द किया जा सकने योग्य) होगा और न्यायालय के आदेश के पश्चात अमान्य किया जा सकेगा—

(a) प्रत्यर्थी की नपुंसकता के कारण विवाह के बाद संभोग नहीं हुआ है, तो ऐसा विवाह शुन्यकरणीय होगा।

नोट: ऊपर दी गई उपधारा के संबंध में निम्नलिखित बातों को समझना भी जरूरी है—

  • नपुंसकता की बात पति और पत्नी दोनों पर लागू होती है;
  • नपुंसकता शारीरिक भी हो सकती है और मानसिक भी;
  • यदि पति या पत्नी में से कोई विवाह के वक्त नपुंसक था/थी, तभी यह उपधारा लागू होगी।

उदाहरण: भूरा का शिला से आयोजित विवाह संपन्न होने के बाद शीला को पता चला कि भूरा नपुंसक है, इसके बाद शीला ने तुरंत ऐसे विवाह को भंग करने का निर्णय लिया और उसने विवाह को ख़त्म करने के लिए याचिका दर्ज कर दी, ऐसे मामले में भूरा और शीला का विवाह उपरोक्त उपधारा के आधार पर शून्यकरणीय होगा।

(b) इस आधार पर कि कोई विवाह, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5(ii) में उल्लिखित शर्तों का उल्लंघन करके किया गया है, तो ऐसा विवाह शून्यकरणीय होगा।

नोट: हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5(ii) में ऐसे मानसिक विकारों का विवरण दिया गया है, जिनकी वजह से ऐसा विवाह शून्यकरणीय हो सकेगा।

उदाहरण: कालू और चमेली का आयोजित विवाह संपन्न हुआ, चमेली को विवाह संपन्न होने के बाद पता चला कि कालू की मानसिक हालत सही नहीं है, इसलिए चमेली ने तुरंत ऐसे विवाह को भंग करने का निर्णय लिया और उसने न्यायालय में विवाह को ख़त्म करने के लिए याचिका दर्ज कर दी, ऐसे मामले में कालू और चमेली का विवाह उपरोक्त उपधारा के आधार पर शून्यकरणीय होगा।

(c) इस आधार पर कि याचिकाकर्ता की सहमति या याचिकाकर्ता के विवाह में संरक्षक की सहमति प्रत्यर्थी द्वारा बलपूर्वक या धोखाधड़ी से प्राप्त की गई थी, तो ऐसा विवाह शून्यकरणीय होगा।

उदाहरण: लालू और जूली का आयोजित विवाह संपन्न हुआ, जूली को विवाह संपन्न होने के बाद पता चला कि उसकी शादी जिस व्यक्ति से तय हुई थी, उससे ना कराकर किसी दुसरे व्यक्ति लालू से करा दी गयी है, इसलिए जूली ने तुरंत ऐसे विवाह को भंग करने का निर्णय लिया और उसने न्यायालय में विवाह को ख़त्म करने के लिए याचिका दर्ज कर दी, ऐसे मामले में लालू और जूली का विवाह उपरोक्त उपधारा के आधार पर शून्यकरणीय होगा।

(d) यदि विवाह के वक्त पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा गर्भवती थी, तो ऐसा विवाह शून्यकरणीय होगा।

उदाहरण: लालसिंह और रेखा का आयोजित विवाह संपन्न हुआ, लालसिंह को विवाह संपन्न होने के बाद पता चला कि रेखा विवाह से पहले ही किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा गर्भवती थी, इसलिए लालसिंह ने तुरंत ऐसे विवाह को भंग करने का निर्णय लिया और उसने न्यायालय में विवाह को ख़त्म करने के लिए याचिका दर्ज कर दी, ऐसे मामले में लालसिंह और रेखा का विवाह उपरोक्त उपधारा के आधार पर शून्यकरणीय होगा।

Section 12(2) of Hindu Marriage Act

हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(2) में याचिका दाखिल करने के संबंध में शर्तें बताई गई है—

(a) हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1)(c) में उल्लिखित आधार पर याचिका इन स्थितियों में ग्रहण नहीं की जाएगी:

(i) अर्जी, बलपूर्वक या कपट द्वारा विवाह संपन्न होने के 1 वर्ष के भीतर दी जाए;

(ii) अर्जीदार, बलपूर्वक या कपट द्वारा विवाह संपन्न होने के बाद दूसरे पक्षकार के साथ अपनी पूर्ण सहमति से पति या पत्नी के रूप में रहा है या रही है;

(b) हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1)(d) में उल्लिखित आधार पर याचिका तब तक ग्रहण नहीं की जाएगी, जब तक कि न्यायालय का यह समाधान नहीं हो जाता कि:

(i) याचिकाकर्ता उपरोक्त धारा में बताए गए तथ्यों से विवाह के समय अनजान था;

(ii) ऐसा विवाह संपन्न होने के बाद अर्जीदार द्वारा विवाह संपन्न होने की तारीख से 1 वर्ष के भीतर याचिका दाखिल की गई हो;

(iii) याचिकाकर्ता द्वारा उपरोक्त धारा में बताए गए सभी तथ्यों के पता चलने के बाद से वैवाहिक संभोग नहीं हुआ है।

ये भी पढ़ें- Hindu Marriage Act Section 13

Section 12 of HMA

FAQs From Section 12 of HMA

  1. What is voidable marriage?

    जो विवाह कुछ विशेष आधारों पर न्यायलय में अर्जी देने पर न्यायाधीश के द्वारा रद्द किये जा सकते हैं, उन्हें शून्यकरणीय विवाह कहा जाता है।

  2. What is the difference between void and voidable marriage?

    एक शून्य विवाह का शुरू से ही कोई अस्तित्व नहीं माना जाता है, लेकिन एक शून्यकरणीय विवाह केवल उस समय तक अस्तित्व में रहता है जब तक इसे न्यायालय में अर्जी देने पर न्यायाधीश के द्वारा रद्द नहीं कर दिया जाता है।

  3. शून्यकरणीय विवाह के आधार क्या हैं?

    नपुंसकता, मानसिक विकार, विवाह में याचिकर्ता की या उसके संरक्षक की सहमति प्रत्यर्थी द्वारा बलपूर्वक या धोखाधड़ी से लेने पर और विवाह के वक्त पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा गर्भवती होने पर विवाह शून्यकरणीय होगा।

Difficult Words of Section 12 of HMA

शब्दसरल अर्थ
याचिकाकर्ता न्यायालय में आदेश प्राप्त करने के लिए याचिका दायर करने वाला व्यक्ति
प्रत्यर्थी न्यायालय में किसी व्यक्ति के द्वारा याचिका दायर करने पर जवाब देने वाला व्यक्ति। उदाहरण: जिस व्यक्ति पर केस दर्ज होता है वह प्रत्यर्थी होता है।
नपुंसकता नामर्द/जो सम्भोग करने में सक्षम ना हो
मानसिक विकार दिमागी तौर पर अस्वस्थता
संरक्षक देखभाल करने वाला, जैसे माता-पिता आदि।

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Reference Link: India Code (The Hindu Marriage Act, 1955)

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