Section 291 BNS | BNS 291
जीव-जंतु के संबंध में उपेक्षापूर्ण/लापरवाह आचरण: जो कोई जानबूझकर या लापरवाही से अपने कब्जे में किसी पशु के साथ ऐसे उपाय करने में चूक करता है, जिससे मानव जीवन के किसी संभावित खतरे को टाला जा सकता था या ऐसे पशु से पंहुचने वाली गंभीर चोट को टाला जा सकता था, तो उस पशु के मालिक को ऐसी चूक के लिए 6 महीने तक का कारावास या ₹5,000 तक के जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
उदाहरण: भूरा अपने खतरनाक कुत्ते को अक्सर अपने घर के आगे खुला छोड़ देता था, उसके पड़ोसियों ने उससे कई बार कुत्ते को बांधकर रखने के लिए निवेदन भी किया, लेकिन भूरा नहीं। एक दिन उसके कुत्ते घर के आगे खुला घूम रहा था और उसने रस्ते पर जाने वाले अनजान मुसाफिर पर हमला कर दिया और उसे बुरी तरह जख्मी कर दिया, ऐसे मामले में भूरा ने अपने खतरनाक कुत्ते को बांधकर ना रखने के कारण बड़ी चूक की, इसलिए उसे उपरोक्त धारा के अनुसार 6 महीने तक का कारावास या ₹5,000 तक के जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 291, कुछ परिवर्तनों के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 289 के समरूप है।
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Section 291 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 291
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What is 291 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 291 के तहत पशु के मालिक को 6 महीने तक का कारावास से दंडित किया जा सकता है।
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What is the fine under section 291 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
बीएनएस की धारा 291 के तहत पशु के मालिक पर चूक करने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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Is 291 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 291 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।
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Is 291 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 291 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘जमानतीय’ हैं।
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291 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 291 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘कोई मजिस्ट्रेट’ कर सकता है।
Difficult words of BNS Section 291
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
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