Section 5 of Hindu Marriage Act: हिंदू विवाह के लिए शर्तें

Section 5 of Hindu Marriage Act | Conditions of Hindu Marriage

हिंदू विवाह के लिए शर्तें: हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार किन्ही दो हिंदुओं के बीच विवाह तभी संपन्न किया जा सकेगा, जब निम्नलिखित शर्तें पूरी हो—

(i) दोनों पक्षकारों में से किसी का पति या पत्नी विवाह के समय जीवित नहीं हो;

उदाहरण: भूरा और शीला पति-पत्नी है, यदि भूरा की मृत्यु हो जाती है तो शीला पुनर्विवाह करने के लिए पात्र होगी।

(ii) दोनों पक्षकारों में से यदि कोई पक्षकार नीचे दिए गए मानसिक विकारों से ग्रस्त है तो दूसरे पक्ष की असहमति पर विवाह संपन्न नहीं हो पाएगा या विवाह संपन्न होने के बाद भी न्यायालय में याचिका दर्ज करने पर ऐसे विवाह को समाप्त किया जा सकेगा:

(a) दोनों पक्षकारों में से कोई अस्वस्थ दिमाग की वजह से विधिमान्य सहमति देने में असमर्थ हो; या

उदाहरण: भूरा की शादी शीला से कराई जानी है, लेकिन शीला की दिमागी हालत इतनी खराब है कि वह अपने विवाह की सहमति देने में भी असमर्थ है तो ऐसी स्थिति में यदि भूरा की मर्जी ना हो तो यह विवाह संपन्न नहीं हो पाएगा, और यदि विवाह संपन्न हो गया है, परंतु भूरा शीला के साथ नहीं रहना चाहता, तो भूरा इस विवाह की समाप्ति के लिए न्यायालय में याचिका दर्ज कर सकेगा।

(b) दोनों पक्षकारों में से कोई विधिमान्य सहमति देने में समर्थ होने के बावजूद भी इस हद तक मानसिक विकार से ग्रस्त है कि वह विवाह और संतान पैदा करने के लिए अयोग्य हो; या

उदाहरण: कालू की शादी चमेली से कराई जानी है, चमेली दिमागी तौर पर अस्वस्थ है पर विवाह के लिए सहमति दे देती है, यदि कालू की मर्जी ना हो तो यह विवाह संपन्न नहीं हो पाएगा, और यदि विवाह संपन्न हो गया है परंतु कालू चमेली के साथ नहीं रहना चाहता, तो कालू इस विवाह की समाप्ति के लिए न्यायालय में याचिका दर्ज कर सकेगा।

(c) दोनों पक्षकारों में से यदि किसी को पागलपन का दौरा बार-बार पड़ता हो।

उदाहरण: लालू की शादी जूली से शादी होने वाली है, जूली को पागलपन के दौरे बार बार पड़ते हैं, यदि लालू की मर्जी ना हो तो यह विवाह संपन्न नहीं हो पाएगा, और यदि विवाह संपन्न हो गया है परंतु लालू जूली के साथ नहीं रहना चाहता, तो लालू इस विवाह की समाप्ति के लिए न्यायालय में याचिका दर्ज कर सकेगा।

नोट: उपरोक्त तीनों उदाहरणों में विवाह संपन्न होने के बाद भी विवाह की समाप्ति की बात इसलिए कही गई है क्योंकि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5(ii) में विवाह के लिए दी गई शर्तें धारा 12 (1)(b) के अनुसार शुन्यकरणीय हैं, अर्थात विवाह संपन्न होने के पश्चात भी उस विवाह को समाप्त किया जा सकेगा।

(iii) वर ने 21 वर्ष की आयु और वधू ने 18 वर्ष की आयु विवाह के समय पूरी कर ली है;

उदाहरण: यदि लालसिंह पुरुष है जिसकी उम्र 21 वर्ष है और काया एक स्त्री है जिसकी उम्र 18 वर्ष है यदि ये दोनों चाहे तो इनका विवाह संपन्न हो सकेगा।

यह भी जाने: यदि भल्ला की उम्र 17 वर्ष है और पारो की उम्र 15 वर्ष है, यदि घरवालों के प्रभाव में इन दोनों का गैर कानूनी विवाह कराया गया था, तो भल्ला की उम्र 21 पूरी होने के बाद और पारो की उम्र 18 वर्ष पूरी होने के बाद, दोनों पक्षों में से किसी के भी द्वारा दो वर्ष के भीतर विवाह के समाप्ति के लिए याचिका दर्ज़ की जा सकेगी।

(iv) दोनों पक्ष निषिद्ध रिश्ते की डिग्री के भीतर शादी तब तक नहीं कर सकते जब तक कि उनमें से प्रत्येक को नियंत्रित करने वाली प्रथा या रिवाज उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं देती;

उदाहरण: हीरा अपनी बहन की बेटी लाडो से विवाह करना चाहता है, तो यह विवाह संपन्न नहीं हो पाएगा। लेकिन यदि हीरा और लाडो के समाज में ऐसे विवाह करने की प्रथा है तो उनका विवाह संपन्न किया जा सकेगा।

(V) जब तक कि दोनों पक्षों में से प्रत्येक को नियंत्रित करने वाली प्रथा या रिवाज विवाह के लिए अनुमति नहीं देता, तब तक दोनों पक्षकार एक दूसरे के सपिंड नहीं है।

नोट: सपिंड नातेदारी माता से ऊपर वाली तीसरी पीढ़ी तक (जिसके अंतर्गत तीसरी पीढ़ी भी शामिल है) और पिता के ऊपर वाली पांचवीं पीढ़ी तक (जिसके अंतर्गत पांचवीं पीढ़ी भी शामिल है) कहलाती है।

उदाहरण: चेतन अपने दादा के भाई की पोती माया शादी करना चाहता है, तो यह विवाह संपन्न नहीं हो पाएगा, लेकिन यदि चेतन और माया के समाज में ऐसे विवाह करने की प्रथा है तो यह विवाह संपन्न किया जा सकेगा।

ये भी पढ़ें- हिंदू विवाह की रस्में (Section 7 of Hindu Marriage Act)

Section 5 of HMA

Section 5 of The Hindu Marriage Act, 1955

FAQs From Section 5 of HMA

  1. What is the Marriage age under section 5 of Hindu Marriage Act?

    हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत पुरुष के लिए विवाह की उम्र 21 साल है और महिला के लिए यह उम्र 18 साल है।

  2. मेरी पत्नी मर गयी है, क्या मैं दूसरा विवाह कर सकता हूँ?

    हाँ, यदि किसी की पत्नी मर चुकी है तो वह पुरुष हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार दुसरा विवाह कर सकता है।

Difficult Words of Section 5 of HMA

शब्दसरल अर्थ
मानसिक विकारदिमागी तौर पर अस्वस्थता
निषिद्ध रिश्तो की डिग्रियांदो व्यक्तियों को निषिद्ध संबंधों की डिग्री के भीतर कहा जाता है, यदि वे एक दूसरे का वंशीय पूर्वज (Lineal ascendant) हैं। उदाहरण के लिए एक बेटी अपने पिता और दादा से शादी नहीं कर सकती। इसी तरह, एक माँ अपने बेटे या पोते से शादी नहीं कर सकती।
सपिण्ड रिश्तेसपिंड नातेदारी माता से ऊपर वाली तीसरी पीढ़ी तक (जिसके अंतर्गत तीसरी पीढ़ी भी शामिल है) और पिता के ऊपर वाली पांचवीं पीढ़ी तक (जिसके अंतर्गत पांचवीं पीढ़ी भी शामिल है) कहलाती है।

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Reference Link: India Code (The Hindu Marriage Act, 1955)

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