Section 521 BNSS | BNSS 521
521(1) BNSS | BNSS 521(1)
केन्द्रीय सरकार इस संहिता, वायुसेना अधिनियम 1950 (1950 का 45), सेना अधिनियम 1950 (1950 का 46), नौसेना अधिनियम 1957 (1950 का 62) और संघ के सशस्त्र बलों पर लागू अन्य विधियों के अनुसार कुछ नियम बना सकती है। ये नियम ऐसे मामलों के लिए होंगे, जिनमें सेना, नौसेना या वायुसेना के अंतर्गत आने वाले किसी व्यक्ति का विचारण सामान्य न्यायालय या सेना न्यायालय में होना है।
जब कोई व्यक्ति मजिस्ट्रेट के सामने लाया जाता है और ऐसा अपराध लगाया जाता है, जिसके लिए उसका विचारण सामान्य न्यायालय या सेना न्यायालय में हो सकता है, तब मजिस्ट्रेट इन नियमों का पालन करेगा। उचित मामलों में, वह व्यक्ति जिस यूनिट से जुड़ा है, उसके कमान अधिकारी को या निकटतम सेना, नौसेना या वायुसेना स्टेशन के कमान अधिकारी को उसका मामला सौंप देगा ताकि सेना न्यायालय में उसका विचारण हो सके।
स्पष्टीकरण में—
- “यूनिट” का अर्थ रेजिमेंट, कोर, पोत, टुकड़ी, ग्रुप, बटालियन या कम्पनी भी होता है;
- “सेना न्यायालय” का अर्थ ऐसा अधिकरण भी है, जिसे संघ के सशस्त्र बलों पर लागू विधियों के अंतर्गत वही शक्तियां प्राप्त होती हैं जो सेना न्यायालय की होती हैं।
521(2) BNSS | BNSS 521(2)
हर मजिस्ट्रेट, किसी व्यक्ति को अपराध के लिए पकड़ने और उसे सुरक्षित रखने के लिए पूरा प्रयास करेगा, जब उसे उस जगह तैनात सैनिकों, नाविकों या वायुसैनिकों की किसी यूनिट या समूह के कमान अधिकारी से इस उद्देश्य के लिए लिखित आवेदन प्राप्त होगा।
521(3) BNSS | BNSS 521(3)
यदि उच्च न्यायालय उचित समझे, तो वह यह निदेश दे सकता है कि राज्य की किसी जेल में बंद किसी कैदी को सेना न्यायालय के सामने लाया जाए, ताकि उसके खिलाफ लंबित किसी मामले की सुनवाई या जांच सेना न्यायालय के समक्ष की जा सके।
नोट: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 521, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 475 के समरूप है।
Section 521 of BNSS Bare Act
Difficult words of BNSS Section 521
शब्द | सरल अर्थ |
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विचारण | ट्रायल |
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Reference Link: New Criminal Laws (BNSS), Ministry of Home Affairs