Section 81 BNS: पुरुष द्वारा धोखे से विधिपूर्ण विवाह का विश्वास दिलाकर सहवास करना

Section 81 BNS | BNS 81

प्रत्येक पुरुष जो छल से किसी महिला को, जो उससे विधिपूर्वक विवाहित नहीं है, यह विश्वास दिलाता है कि वह उससे विधिपूर्वक विवाहित है और वह इस विश्वास के आधार पर उसके साथ सहवास करता है या मैथुन करता है, तो उसे 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: लालू और चमेली दोनों दोस्त हैं और चमेली अनपढ़ है, एक दिन लालू ने चमेली को न्यायालय ले जाकर फर्जी तरीके से एहसास दिला दिया कि उसने उससे शादी कर ली है, उसके बाद वे दोनों साथ-साथ रहे और उनके बीच संभोग भी हुआ, चमेली को इस झूठी शादी की सच्चाई का बाद में पता चलने पर उसने भूरा पर केस दर्ज करा दिया, ऐसे मामले में भूरा को उपरोक्त धारा के अनुसार 10 साल तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा। 

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 81, भारतीय दंड संहिता की धारा 493 के समरूप है।

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Section 81 of BNS Bare Act

Section 81 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 81

  1. What is 81 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 81 के तहत अपराधी को 10 साल तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।

  2. What is the fine under section 81 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 81 में जुर्माने की राशि नहीं बताई गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।

  3. Is 81 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 81 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘असंज्ञेय’ हैं।

  4. Is 81 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 81 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘ग़ैर-जमानतीय’ हैं।

  5. 81 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 81 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘प्रथम वर्ग का मजिस्ट्रेट’ करता है।

Difficult words of BNS Section 81

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
सहवास करना साथ रहकर शारीरिक संबंध स्थापित करना

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