Section 92 BNS | BNS 92
जो कोई आपराधिक मानव वध की श्रेणी के कार्य द्वारा किसी बालक की उसके मां के गर्भ में ही मृत्यु कर देगा, तो उसे 10 वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
उदाहरण: शीला एक गर्भवती महिला है, जो जूली के घर में किराए पर रहती थी, शीला और जूली का झगड़ा होने की वजह से बोलचाल बंद थी, एक दिन शीला सीढ़ी चढ़कर छत पर कपड़े सुखाने गई, तो जूली ने Aशीलाको सीढ़ी से गिराने के उद्देश्य से सीढ़ी पर तेल डाल दिया, जिससे शीला फिसल गई, और उसके बालक की पेट में ही मृत्यु हो गई। इस मामले में जूली को को उपरोक्त धरा के तहत 10 वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
What is culpable homicide?
आपराधिक मानव वध क्या होता है?- जो कोई भी व्यक्ति यदि किसी अन्य व्यक्ति को मृत्यु या शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के आशय से यह जानते हुए भी ऐसा कार्य करता है कि उस कार्य से उस व्यक्ति की मृत्यु होने की संभावना है तो यह अपराधिक मानव वध कहलाता है। आपराधिक मानव वध के मामलों में अपराधी का इरादा, मृत्यु की संभावना, अपराध की गंभीरता, और ऐसे कार्य की जानकारी जिससे मृत्यु कारित होने की संभावना है, हत्या की तुलना में कम होती है।
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 92, भारतीय दंड संहिता की धारा 316 के समरूप है।
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Section 92 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 92
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What is 92 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 92 के तहत अपराधी को 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।
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What is the fine under section 92 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
बीएनएस की धारा 92 में जुर्माने की राशि निश्चित नहीं की गई है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।
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Is 92 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 92 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।
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Is 92 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 92 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘गैर-जमानतीय’ हैं।
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92 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 92 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ करता है।
Difficult words of BNS Section 92
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
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