Section 10 of Hindu Marriage Act | Judicial Separation Under Hindu Law
HMA 10(1) | Section 10(1) of HMA
विवाह का कोई भी पक्षकार चाहे उसका विवाह इस अधिनियम के प्रारंभ से पहले या बाद में संपन्न हुआ है, पति के मामले में धारा 13(1) में दिए गए किसी आधार पर और पत्नी के मामले में धारा 130(2) में दिए गए आधार पर न्यायिक पृथक्करण की डिग्री के लिए प्रार्थना की जा सकेगी।
इसमें न्यायालय द्वारा धारा 13 में दिए गए तलाक के कुछ आधारों पर डिक्री/आदेश पारित किया जाता है और दोनों पक्षकारों को 1 वर्ष के लिए अलग करके वैवाहिक कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाता है। अर्थात इसके पश्चात दोनों पक्षकार किसी भी वैवाहिक कर्तव्य को निभाने के लिए बाध्य नहीं होते।
यदि न्यायिक पृथक्करण की अवधि के बीच दोनों पक्षकारों को ऐसा लगता है कि उन्हें तलाक नहीं लेना चाहिए, तो धारा 10(2) के तहत न्यायालय में किसी भी पक्ष द्वारा आवेदन देकर इसे निरस्त कराया जा सकता है।
न्यायिक पृथक्करण की डिक्री/आदेश धारा 13 में दिए गए तलाक के कुछ आधारों पर पारित किया जाता है। धारा 13 में तीन आधार ऐसे हैं जिन पर न्यायिक पृथक्करण की डिक्री पारित नहीं की जा सकती—
- धारा 13 (1)(ii)- धर्मांतरण (Conversion)
- धारा 13 (1)(vi)- परित्याग (Renunciation)
- धारा 13 (1)(vii)- अनुमानित मृत्यु (Presumed death)
HMA 10(2) | Section 10(2) of HMA
जहां न्यायिक पृथक्करण की डिक्री/आदेश पारित हो गया है वहां याचिकाकर्ता के लिए प्रत्यार्थी के साथ रहना अनिवार्य नहीं होगा, किंतु न्यायालय किसी भी पक्ष की याचिका द्वारा आवेदन पर तथा ऐसी याचिका में दिए गए कथनों के सत्यता से संतुष्ट होने पर यदि न्याय संगत और उचित समझे, तो डिक्री को रद्द कर सकता है।
नोट 1: न्यायिक पृथक्करण की डिक्री के बाद शादी नहीं टूटती अर्थात रिश्ता बना रहता है।
नोट 2: न्यायिक पृथक्करण की डिक्री के बाद दोनों पक्षकार एक साथ रहने को बाध्य नहीं होते लेकिन यदि वे दोनों स्वेच्छा से एक साथ रहना चाहें तो रह सकते हैं।
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Section 10 of HMA
FAQs From Section 10 of HMA
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What is the difference between divorce and judicial separation?
तलाक के मामले में पति और पत्नी के विवाह को भंग करके उन्हें वैवाहिक कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाता है। जबकि न्यायिक पृथक्करण की डिक्री के बाद 1 वर्ष तक पति और पत्नी को वैवाहिक कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाता है, लेकिन उनकी शादी नहीं टूटती अर्थात रिश्ता बना रहता है।
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Which section of the Hindu Marriage Act deals with Judicial Separation?
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 10 न्यायिक पृथक्करण से संबंधित है।
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What are the grounds of judicial separation under Hindu law?
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 में दिए गए तीन आधारों (धर्मांतरण, परित्याग और अनुमानित मृत्यु) को छोड़कर बाकी सभी आधारों पर न्यायिक पृथक्करण के लिए याचिका दर्ज की जा सकती है।
Difficult Words of Section 10 of HMA
शब्द | सरल अर्थ |
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प्रत्यर्थी | न्यायालय में किसी व्यक्ति के द्वारा याचिका दायर करने पर जवाब देने वाला व्यक्ति। उदाहरण: जिस व्यक्ति पर केस दर्ज होता है वह प्रत्यर्थी होता है। |
प्रार्थी | न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करने वाला व्यक्ति |
याचिकाकर्ता | न्यायालय में आदेश प्राप्त करने के लिए याचिका दायर करने वाला व्यक्ति |
धर्मांतरण | धर्म परिवर्तन करना |
परित्याग | किसी धार्मिक आश्रम में प्रवेश करके संसार का परित्याग करना |
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Reference Link: India Code (The Hindu Marriage Act, 1955)