Section 106 BNS | BNS 106
106(1) BNS | BNS 106(1)
इस धारा के अनुसार, जो कोई उतावलेपन या लापरवाही से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, (जो आपराधिक मानव वध की श्रेणी में नहीं आता है) तो उसे 5 वर्ष तक के कारावास से दण्डित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
और यदि ऐसा अपराध किसी रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा चिकित्सीय प्रक्रिया के वक्त किया गया हो तो उसे 2 वर्ष तक के कारावास से दण्डित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
स्पष्टीकरण: इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, “पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी” से तात्पर्य ऐसे चिकित्सा व्यवसायी से है, जिसके पास राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के तहत मान्यता प्राप्त कोई चिकित्सा योग्यता है और जिसका नाम उस अधिनियम के तहत राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर या राज्य चिकित्सा रजिस्टर में दर्ज किया गया है।
उदाहरण 1: भूरा अपनी बंदूक की सफाई कर रहा था, लेकिन उसे ये याद नहीं था कि बंदूक में गोली भरी हुई है और सफाई करते वक्त लापरवाही से बंदूक चल गयी, जिसकी वजह से सड़क पर जा रहे लालू की मृत्यु हो गई, ऐसे मामले में भूरा को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 5 वर्ष तक के कारावास से दण्डित किया जा सकता है और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
उदाहरण 2: लालसिंह एक रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी है, उसने अपने मरीज कालू की चिकित्सीय प्रक्रिया के दौरान भूल से गलत दवा दी, जिसकी वजह से कालू की मृत्यु हो गई, ऐसे मामले में लालसिंह को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 2 वर्ष तक के कारावास से दण्डित किया जा सकता है और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
106(2) BNS | BNS 106(2)
इस धारा के अनुसार, जो कोई वाहन को उतावलेपन या लापरवाही से चलाने की वजह से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा (जो की आपराधिक मानव वध की श्रेणी में नहीं आता है) और घटना के तुरंत बाद इसकी जानकारी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को दिए बिना वहां से निकल कर भागेगा तो उसे 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
उदाहरण: भूरा सड़क पर गाड़ी चलते वक़्त स्टंट कर रहा था, अचानक उसकी गाड़ी के सामने एक बच्चा आ गया, टक्कर इतनी जोरदार हुई कि मौके पर ही उस बच्चे की मौत हो गयी, ऐसे मामले में भूरा को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
नोट 1: भारतीय न्याय संहिता की धारा 106, कुछ परिवर्तनों के साथ, भारतीय दंड संहिता की धारा 304 A के समरूप है।
नोट 2: बीएनएस धारा 106 का उप-खण्ड 2 अभी लागू नहीं होगा।
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नोट: अगर नीचे दिया गया कोई भी सेक्शन लिंक आपको ‘लीगल बात’ वेबसाइट के होमपेज पर रीडायरेक्ट करता है, तो इसका मतलब है कि संबंधित पोस्ट अभी तक नहीं लिखी गई है। हालाँकि, इसे जल्द ही वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा।
Section 106 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 106
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What is 106 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 106 के तहत जो कोई उतावलेपन या लापरवाही से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा, (जो आपराधिक मानव वध की श्रेणी में नहीं आता है) तो उसे 5 वर्ष तक के कारावास से,
यदि ऐसा अपराध किसी रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा चिकित्सीय प्रक्रिया के वक्त किया गया हो तो उसे 2 वर्ष तक के कारावास से
और यदि कोई वाहन को उतावलेपन या लापरवाही से चलाने की वजह से किसी व्यक्ति की मृत्यु कारित करेगा (जो की आपराधिक मानव वध की श्रेणी में नहीं आता है) और घटना के तुरंत बाद इसकी जानकारी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को दिए बिना वहां से निकल कर भागेगा तो उसे 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।
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What is the fine under section 106 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
बीएनएस की धारा 106 में जुर्माने की राशि नहीं बताई गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।
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Is 106 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 106 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।
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Is 106 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 106 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘जमानतीय’ हैं।
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106 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 106 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘प्रथम वर्ग का मजिस्ट्रेट’ करता है।
Difficult words of BNS Section 106
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
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