Section 107 BNS: बालक या विकृत चित्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण

Section 107 BNS | BNS 107

यदि कोई बालक, कोई विकृत चित्त वाला व्यक्ति, कोई बेसुध व्यक्ति, या नशे की हालत में कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है तो जिसने ऐसी आत्महत्या के लिए उकसाने का दुष्प्रेरण किया होगा, उसे मृत्यु या आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: भूरा के भतीजे कालू की उम्र 15 वर्ष है, भूरा कालू को डांटते हुए बोलता है कि उसका जीना बेकार है, इसके बाद कालू आत्महत्या कर लेता है तो इस मामले में भूरा को उपरोक्त धारा के अनुसार मृत्यु या आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 107, कुछ परिवर्तनों के साथ, भारतीय दंड संहिता की धारा 305 के समरूप है।

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Section 107 of BNS Bare Act

Section 107 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 107

  1. What is 107 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 107 के तहत अपराधी को मृत्यु या आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।

  2. What is the fine under section 107 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 107 में जुर्माने की राशि नहीं बताई गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।

  3. Is 107 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 107 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।

  4. Is 107 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 107 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘गैर-जमानतीय’ हैं।

  5. 107 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 107 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ करता है।

Difficult words of BNS Section 107

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
दुष्प्रेरण गलत नीयत से उकसाना
विकृतचित्त वाला व्यक्ति दिमागी तौर पर अस्वस्थ व्यक्ति

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