Section 108 BNS: आत्महत्या के लिए उकसाना

Section 108 BNS | BNS 108

आत्महत्या का दुष्प्रेरण: यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है, तो जिसने ऐसी आत्महत्या के लिए उकसाने का दुष्प्रेरण किया होगा, उसे 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: भूरा का अपने पिता लालसिंह से घरेलू झगड़ा हुआ, जिसमें लालसिंह ने भूरा को भला बुरा कहा और ताना दिया कि उसका जीना व्यर्थ है, वह मर ही जाए तो उचित होगा, इस बात पर बुरा मानकर भूरा ने आत्महत्या कर ली, तो इस मामले में लालसिंह को उपरोक्त धारा के अनुसार 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 108, भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के समरूप है।

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Section 108 of BNS Bare Act

Section 108 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 108

  1. What is 108 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 108 के तहत अपराधी को 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।

  2. What is the fine under section 108 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 108 में जुर्माने की राशि नहीं बताई गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।

  3. Is 108 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 108 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ है।

  4. Is 108 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 108 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘अजमानतीय’ हैं।

  5. 108 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 108 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ करता है।

  6. What is the Abetment of Suicide Section in BNS?

    आत्महत्या के लिए उकसाने/दुष्प्रेरण पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 लगाई जाती है।

Difficult words of BNS Section 108

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
दुष्प्रेरण गलत नीयत से उकसाना

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