Section 110 BNS | BNS 110
जो कोई किसी कार्य को ऐसे इरादे या ज्ञान से ऐसी परिस्थितियों में करता है कि उस कार्य से वह मृत्यु कारित कर देता है, और वह हत्या की श्रेणी में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोषी सिद्ध हुआ, तो उसे 3 वर्ष तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
और यदि ऐसे कार्य द्वारा किसी व्यक्ति को पीड़ा दी गई हो, तो उसे 7 वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
उदाहरण 1: यदि भूरा का लालू से बाजार में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ, और भूरा ने अचानक अपनी लाइसेंस की बंदूक से लालू पर गोली चलाई, लेकिन लालू को गोली नहीं लगी, तो यह मामला आपराधिक मानव वध के प्रयास का होगा, जिसमें भूरा को 3 वर्ष तक के कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
उदाहरण 2: यदि कालू का लालसिंह से बाजार में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ, और कालू ने लालसिंह पर अचानक डंडे से हमला कर दिया जिससे लालसिंह की मृत्यु होने की संभावना थी, लेकिन मृत्यु नहीं हुई, ऐसे मामले में कालू को 7 वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 110, भारतीय दंड संहिता की धारा 308 के समरूप है।
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Section 110 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 110
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What is 110 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 110 के तहत आपराधिक मानव वध के प्रयत्न के मामले में 3 वर्ष तक के कारावास से और यदि आपराधिक मानव वध का प्रयत्न पीड़ा देकर किया गया हो, तो 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।
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What is the fine under section 110 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
बीएनएस की धारा 110 में जुर्माने की राशि नहीं बताई गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।
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Is 110 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 110 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।
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Is 110 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 110 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘गैर-जमानतीय’ हैं।
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110 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 110 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ करता है।
Difficult words of BNS Section 110
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
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