Section 113 BNS: आतंकवादी कृत्य और उसकी सजा

इस लेख में आपको ‘आतंकवादी कृत्य’ की सभी उपधाराओं के बारे में जानकारी मिलेगी। इसके साथ ही आपको सजा, जुर्माना और यह अपराध संज्ञेय है या असंज्ञेय, जमानतीय है या गैर-जमानती तथा ऐसे अपराध की सुनवाई कहां होगी, इसकी पूरी जानकारी मिलेगी।

Section 113 BNS | BNS 113

113(1) BNS | BNS 113(1) | Terrorist Act Definition

भारतीय न्याय संहिता की धारा 113(1) के अनुसार, जो कोई भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा या आर्थिक सुरक्षा को संकट में डालने या संकट में डालने की संभावना के इरादे से भारत में या किसी विदेश में जनता अथवा जनता के किसी वर्ग में आतंक फैलाने या आतंक फैलाने की संभावना के इरादे से-

(a) बमों, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थ या ज्वलनशील पदार्थ या अग्नि-अस्त्र या अन्य घातक हथियार या जहरीली या हानिकारक गैसों या अन्य रसायनों या खतरनाक प्रकृति के किसी अन्य पदार्थ (चाहे जैविक रेडियोधर्मी, परमाणु हों) या किसी भी प्रकृति के किन्हीं अन्य साधनों का उपयोग करके ऐसा कोई कार्य करता है, जिससे-

(i) किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु होती है या उन्हें चोट पहुंचती है या होने की संभावना है; या

(ii) संपत्ति की हानि या उसका नुकसान या विनाश होता है या होने की संभावना है।

(iii) भारत या किसी विदेशी समुदाय के जीवन के लिए आवश्यक किसी भी आपूर्ति या सेवा में बाधा उत्पन्न करना; या

(iv) नकली भारतीय कागजी मुद्रा, सिक्के या किसी अन्य सामग्री के उत्पादन या तस्करी या संचालन के माध्यम से भारत की आर्थिक स्थिरता को नुकसान कारित होता है या होने की संभावना है; या 

(v) भारत में या विदेश में भारत की रक्षा के लिए या भारत सरकार या किसी राज्य सरकार या उनकी किसी एजेंसी के किसी अन्य उद्देश्य के संबंध में उपयोग की जाने वाली किसी भी संपत्ति को नुकसान या विनाश होता है या होने की संभावना है; या

(b) लोक पदाधिकारी को आपराधिक बल के द्वारा आतंकित करता है या ऐसा करने का प्रयत्न करता है या किसी लोक पदाधिकारी की मृत्यु कार्य करता है या किसी लोक पदाधिकारी की मृत्यु कार्य करने का प्रयत्न करता है; या

(c) किसी व्यक्ति को हिरासत में लेता है, उसका अपहरण करता है या ऐसे व्यक्ति को मारने या चोट पहुंचाने की धमकी देता है या भारत सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी विदेश की सरकार या किसी अंतरराष्ट्रीय या अंतर-सरकारी संगठन या किसी अन्य व्यक्ति को कोई कार्य करने या किसी कार्य को करने से रोकने के लिए बाध्य करता है, तो वह आतंकवादी कार्य करता है।

113(2) BNS | BNS 113(2)

जो कोई आतंकवादी कार्य करेगा-

(a) यदि ऐसे अपराध के परिणाम स्वरुप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: भूरा ने आतंकी इरादे से बाजार में बम विस्फोट किया, जिसमें तीन व्यक्तियों की मृत्यु हो गई, इस मामले में भूरा को मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

(b) किसी अन्य मामले में वह 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: कालू ने आतंकी इरादे से सार्वजनिक स्थान पर बम विस्फोट किया, लेकिन वहां किसी की मृत्यु नहीं हुई, ऐसे मामले में कालू को 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

113(3) BNS | BNS 113(3)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 113(3) के अनुसार, जो कोई आतंकवादी कार्य करने का षड्यंत्र करता है या ऐसा प्रयत्न करता है या उसके पक्ष का समर्थन करता है, सलाह देता है या उकसाता है, सीधे जानबूझकर किसी आतंकवादी कार्य को अंजाम देने में मदद करता है या किसी आतंकवादी कार्य को प्रारंभ करने के लिए कोई तैयारी करता है, तो उसे 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: एक आतंकी संगठन द्वारा किसी शहर में बम विस्फोट किए जाने की योजना बनाई जा रही थी, जिसमें भूरा नाम के व्यक्ति ने उस आतंकी संगठन से कुछ पैसे लेकर उनके आतंकी कार्य को सफल बनाने के लिए उनकी मदद की, ऐसे मामले में भूरा को उपरोक्त उपाधारा के अनुसार 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

113(4) BNS | BNS 113(4)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 113(4) के अनुसार, जो कोई आतंकवादी कार्य का प्रशिक्षण देने के लिए किसी शिविर या किन्हीं शिविरों का आयोजन करता है या कराएगा या किसी आतंकवादी कार्य को अंजाम देने के लिए किसी व्यक्ति या व्यक्तियों की भर्ती करेगा या कराएगा, तो उसे 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा। 

उदाहरण: कालू एक आतंकी संगठन में आतंकवादियों को भर्ती करने के लिए एक गुप्त कैंप का आयोजन करता है, लेकिन पकड़ा जाता है, इस मामले में कालू को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

113(5) BNS | BNS 113(5)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 113(5) के अनुसार, कोई व्यक्ति जो किसी ऐसे संगठन का सदस्य है जो आतंकवादी कार्य में शामिल है, उसे आजीवन कारावास तक की अवधि से दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा। 

उदाहरण: लालू एक खूंखार आतंकी संगठन का सदस्य है, जो एक आतंकी घटना को अंजाम देते वक्त गिरफ्तार किया जाता है, कालू को उपरोक्त उपधारा के अनुसार आजीवन कारावास तक की अवधि से दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

113(6) BNS | BNS 113(6)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 113(6) के अनुसार, जो कोई ऐसे व्यक्ति को जानते हुए, कि उसने कोई आतंकवादी अपराध किया है, उसे शरण देगा या छिपाएगा या शरण देने या छिपाने का प्रयत्न करेगा, उसे 3 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा। 

उदाहरण: लाला यह जानते हुए भी की लालसिंह एक आतंकवादी है और हाल ही में उसने एक आतंकी घटना को अंजाम दिया है, उसे अपने घर में शरण देता है, इस मामले में लाला को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 3 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा। 

नोट: परंतु यह उपाधारा ऐसे मामलों में लागू नहीं होगी जिसमें शरण देने या छिपाने का कार्य अपराधी के पति या पत्नी द्वारा किया गया है।

113(7) BNS | BNS 113(7)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 113(7) के अनुसार, जो कोई जानबूझकर किसी आतंकवादी कार्य से प्राप्त या किसी आतंकवादी कार्य के माध्यम से प्राप्त किसी संपत्ति को अपने कब्जे में रखता है, उसे आजीवन कारावास तक की अवधि से दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा। 

उदाहरण: बल्लू को पता है कि काली एक आतंकवादी है, और काली ने एक आतंकवादी घटना को अंजाम देकर सरकारी खजाने को लूटा है, जिसे A अपने घर पर रखवा लेता है, इस मामले में बल्लू को उपरोक्त उपधारा के अनुसार आजीवन कारावास तक की अवधि से दंडित किया जा सकेगा, और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

नोट 1: संदेह को दूर करने के लिए यह घोषित किया जाता है कि पुलिस अधीक्षक के पद के नीचे का अधिकारी यह तय नहीं करेगा कि इस धारा के तहत मामला दर्ज किया जाए या गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 (1967 का 37) के तहत मामला दर्ज किया जाए।

नोट 2: भारतीय न्याय संहिता की धारा 113 एक नई धारा है, ये धारा भारतीय दंड संहिता की किसी धारा के समरूप नहीं है।

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Section 113 of BNS Bare Act

Section 113(1) of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act
BNS 113(1)
Section 113(1) of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act
Section 113(2)(3)(4) of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act
BNS 113(2)(3)(4)
Section 113(5)(6)(7) of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act
BNS 113(5)(6)(7)

FAQs from BNS Section 113

  1. What is 113 BNS punishment?

    भारतीय न्याय संहिता की-
    – धारा 113(2)(a) के अंतर्गत यदि उसके अपराध से किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उसे मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित किया दंडित किया जा सकता है,
    – धारा 113(2)(b) के तहत अपराधी को 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक,
    – धारा 113(3) के तहत 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक,
    – धारा 113(4) के तहत 5 वर्ष से आजीवन कारावास तक,
    – धारा 113(5) के तहत आजीवन कारावास तक की अवधि से,
    – धारा 113(6) के तहत 3 वर्ष से आजीवन कारावास तक,
    – धारा 113(7) के तहत आजीवन कारावास तक की अवधि से दंडित किया जा सकता है।

  2. What is the fine under section 113 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 113 की किसी भी उपधारा में जुर्माने की राशि नहीं बताई गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।

  3. Is 113 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 113 की सभी उपधाराओं के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।

  4. Is 113 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 113 की सभी उपधाराओं के अंतर्गत किए गए अपराध ‘गैर-जमानतीय’ हैं।

  5. 113 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 113 की सभी उपधाराओं के अंतर्गत किए गए अपराधों की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ करता है।

Difficult words of BNS Section 113

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
स्वेच्छा सेखुद की इच्छा से/जानबूझकर
अखंडता जिसके खण्ड/टुकड़े ना किये जा सकें।
सम्प्रभुताकिसी भौगोलिक क्षेत्र या जन समूह पर सत्ता या प्रभुत्व के सम्पूर्ण नियंत्रण पर अनन्य अधिकार को सम्प्रभुता (Sovereignty) कहा जाता है।
लोक पदाधिकारी ऐसा व्यक्ति जो सरकारी कार्य के लिए कानूनी रूप से निर्वाचित या नियुक्त किया गया हो।

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