उपहति/आघात करने की केवल निम्नलिखित किस्में ही घोर आघात कहलाती हैं—
Grievous injury list:
(a) अंडकोष निकालना;
(b) दोनों में से किसी भी आंख की दृष्टि को स्थाई रूप से नष्ट करना;
(c) दोनों में से किसी भी कान की सुनने की शक्ति को स्थाई रूप से नष्ट करना;
(d) किसी भी अंग या जोड़ को तोड़ना;
(e) किसी भी अंग या जोड़ की शक्तियों का नाश या स्थाई रूप से क्षीण करना;
(f) सिर या चेहरे को स्थायी रूप से कुरूप कर देना;
(g) हड्डी या दांत का फ्रैक्चर या अस्तव्यस्त कर देना;
(h) कोई आघात जो जीवन में संकट उत्पन्न करता है या जिसके कारण चोटिल व्यक्ति 15 दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा में रहता है या अपने मामूली कामकाज को करने में असमर्थ रहता है।
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 116, भारतीय दंड संहिता की धारा 320 के समरूप है।
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