Section 117 BNS: स्वेच्छा से घोर उपहति कारित करना

Section 117 BNS | BNS 117

इस लेख में आपको ‘स्वेच्छा से घोर आघात कारित करने’ की सभी उपधाराओं के बारे में जानकारी मिलेगी, साथ ही इसके तहत मिलने वाली सज़ा और जुर्माने के बारे में भी जानकरी मिलेगी।

117(1) BNS | BNS 117(1) | Voluntarily causing grievous hurt definition

भारतीय न्याय संहिता की धारा 117(1) के अनुसार, जो कोई स्वेच्छा से घोर आघात करता है, यदि वह आघात, जिसे करने का उसका आशय है या वह जानता है कि उसके द्वारा जिस आघात को करने की संभावना है वो घोर आघात की प्रवृत्ति का है, यदि वह ऐसा आघात कर देता है, तो उसे स्वेच्छा से घोर आघात कहा जाता है।

117(2) BNS | BNS 117(2)

जो कोई धारा 122(2) में उपबंधित मामलों के अलावा स्वेच्छा से घोर आघात करेगा, उसे 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: भूरा को आभास था कि यदि वह कालू के चेहरे पर हमला करेगा तो उसका चेहरा स्थाई रूप से कुरूपित हो जाएगा, इस संभावना के पता होने के बावजूद भी भूरा ने कालू के चेहरे पर हमला किया, जिससे कालू का चेहरा स्थाई रूप से कुरूपित तो नहीं हुआ, किंतु वह लगभग 15 दिन तक कठोर पीड़ा से परेशान रहा, इस मामले में भूरा ने स्वेच्छा से घोर आघात का अपराध किया है, और उसे उपरोक्त उपधारा के अनुसार 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

117(3) BNS | BNS 117(3)

जो कोई धारा 117(1) के अधीन अपराध करके किसी व्यक्ति को आघात पहुंचता है, और उस व्यक्ति को स्थाई रूप से दिव्यांग कर देता है या लगातार विकृत दशा में डाल देता है, तो उसे 10 वर्ष से आजीवन काल तक के कारावास से दंडित किया जा सकेगा, जिसका अर्थ होगा उस व्यक्ति का शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिए कारावास। 

उदाहरण: भूरा और लालू भाई-भाई हैं, दोनों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर झगड़ा चल रहा था, एक दिन भूरा ने जानबूझकर योजना बनाकर लालू का पैर काट दिया, ऐसे मामले में भूरा को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 10 वर्ष से आजीवन कारावास तक दंडित किया जा सकेगा, जिसका अर्थ होगा भूरा का शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिए कारावास।

117(4) BNS | BNS 117(4)

जहां पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा किसी व्यक्ति पर उसके मूलवंश, जाति या समुदाय, लिंग, जन्मस्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समरूप आधार पर घोर आघात किया जाएगा, तो ऐसे समूह का प्रत्येक सदस्य घोर आघात करने का अपराधी होगा, उसे 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: A, B, C, D, E पांच दोस्तों ने मिलकर जातिवाद के दंगे में अपने गांव में रहने वाले एक मुसलमान F पर योजना के तहत हमला किया और उसके दोनों पैर तोड़ने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने वक्त पर आकर F को बचा लिया, ऐसे मामले में  A, B, C, D, E पांचों को उपरोक्त उपाधारा के अनुसार 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वे जुर्माने के लिए भी दायी होंगे।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 117, कुछ परिवर्तनों के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 322 एवं 325 के समरूप है।

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Section 117 of BNS Bare Act

Section 117 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 117

  1. What is 117 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 117(2) के तहत 7 वर्ष तक के कारावास से, धारा 117(3) के तहत 10 वर्ष से आजीवन काल तक के कारावास से और धारा 117(4) के तहत 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।

  2. What is the fine under section 117 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 117 की किसी भी उपधारा में जुर्माने की राशि नहीं बताई गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।

  3. Is 117 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 117(2), धारा 117(3) और धारा 117(4) के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।

  4. Is 117 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 117(2) के अंतर्गत किए गए अपराध ‘जमानतीय’ हैं और धारा 117(3) तथा धारा 117(4) के अंतर्गत किए गए अपराध ‘गैर-जमानतीय’ हैं।

  5. 117 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 117(2) के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘कोई मजिस्ट्रेट’ कर सकता है और धारा 117(3) तथा धारा 117(4) के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ करता है।

Difficult words of BNS Section 117

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
आघातप्रहार करके चोट पंहुचना
स्वेच्छा सेखुद की इच्छा से/जानबूझकर
कुरूपितबिगड़ा हुआ रूप (जैसे: चेहरे पर तेजाब पड़ने से चेहरा कुरूपित हो जाता है)
उपबंधकानूनी प्रावधान/व्यवस्ता
दिव्यांगताशारीरिक अपंगता/मानसिक अपंगता
विकृततोड़ मरोड़ देना

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