Section 122 BNS | BNS 122
122(1) BNS | BNS 122(1)
भारतीय न्याय संहिता की धारा 122(1) के अनुसार, जो कोई गंभीर और अचानक उकसावे पर किसी को स्वेच्छा से आघात पहुंचाएगा, (यदि उकसाने वाला व्यक्ति उसे न उकसाता, तो वह किसी व्यक्ति को न तो आघात पहुंचाने का इरादा रखता था और न ही यह जानता था कि उसे आघात पहुंचने की कोई संभावना है) तो ऐसे मामले में स्वेच्छा से आघात पहुंचाने वाले व्यक्ति को 1 महीने तक के कारावास या ₹5,000 तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
उदाहरण: भूरा और कालू एक ही गांव के एक ही मोहल्ले में रहते हैं। भूरा कालू को गधा कहकर चिढ़ाता है, जिस पर कालू गुस्सा होकर भूरा को थप्पड़ मार देता है, ऐसे मामले में कालू को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 1 महीने तक के कारावास या ₹5,000 तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
122(2) BNS | BNS 122(2)
भारतीय न्याय संहिता की धारा 122(2) के अनुसार, जो कोई गंभीर और अचानक उकसावे पर किसी को स्वेच्छा से घोर आघात पहुंचाएगा, (यदि उकसाने वाला व्यक्ति उसे न उकसाता, तो वह किसी व्यक्ति को न तो घोर आघात पहुंचाने का इरादा रखता था और न ही यह जानता था कि उसे घोर आघात पहुंचने की कोई संभावना है) तो ऐसे मामले में स्वेच्छा से घोर आघात पहुंचाने वाले व्यक्ति को 5 वर्ष तक के कारावास या ₹10,000 तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
उदाहरण: A और B एक ही कॉलेज में साथ-साथ पढ़ते हैं, A के पिता की लंबाई छोटी है, B, A के पिता के बौनेपन का मजाक बनाता है, जिस पर A गुस्से से B पर डंडे से हमला कर देता है, जिससे B के हाथ की हड्डी टूट जाती है, ऐसे मामले में A को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 5 वर्ष तक के कारावास या ₹10,000 तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण: धारा 122, धारा 101 के अपवाद 1 के समान प्रावधान के अधीन है, इसमें बताया गया है कि उकसावा ऐसा नहीं होना चाहिए कि-
- किसी व्यक्ति को मारने या नुकसान पहुंचाने के लिए अपराधी द्वारा किया गया बहाना या स्वेच्छा से उकसाया गया हो;
- कानून के पालन में की गई किसी भी कार्यवाही द्वारा या किसी लोक सेवक द्वारा ऐसे लोक सेवक की शक्तियों के वैध प्रयोग में की गई कार्रवाई द्वारा
- प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार के विधिपूर्ण प्रयोग में की गई किसी भी कार्यवाही द्वारा
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 122, कुछ परिवर्तनों के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 334 एवं 335 के समरूप है।
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Section 122 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 122
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What is 122 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 122(1) के तहत अपराधी को 1 महीने तक के कारावास से और धारा 122(2) के तहत अपराधी को 5 साल तक का कारावास से दंडित किया जा सकता है।
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What is the fine under section 122 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
बीएनएस की धारा 122(1) के तहत अपराध करने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना और धारा 122(2) के तहत अपराध करने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
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Is 122 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 122(1) के अंतर्गत किए गए अपराध ‘असंज्ञेय’ हैं और बीएनएस की धारा 122(2) के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं
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Is 122 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 122(1) और 122(2) के अंतर्गत किए गए अपराध ‘जमानतीय’ हैं।
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122 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 122(1) के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘कोई मजिस्ट्रेट’ कर सकता है और बीएनएस की धारा 122(2) के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘प्रथम वर्ग का मजिस्ट्रेट’ करता है।
Difficult words of BNS Section 122
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
उपहति/आघात | प्रहार करके चोट पंहुचना |
स्वेक्षा से | खुद की इच्छा से/जानबूझकर |
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