Section 123 BNS | BNS 123
जो कोई किसी व्यक्ति को कोई विष या कोई बेहोश करने वाला नशा या अस्वास्थ्यकर औषधि या अन्य चीज इस इरादे से देगा या उसे ये चीजें लेने के लिए प्रेरित करेगा, ताकि उस व्यक्ति को आघात पहुंचे या कोई अपराध करने या अपराध करने में सहायता की जाए या यह जानते हुए कि इससे आघात पंहुचने की संभावना है, तो ऐसे मामले में आघात पहुंचाने वाले व्यक्ति को 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
उदाहरण: भूरा और लालू भाई-भाई है, भूरा की उम्र 22 वर्ष है और शादी भी नहीं हुई है, लालू अपने भाई भूरा के हिस्से की संपत्ति को हड़पने की बुरी नीयत की वजह से उसके को खाने में जहर मिलाकर दे देता है, भूरा की हालत बिगड़ने से पहले ही उसे अस्पताल ले जाकर बचा लिया जाता है, ऐसे मामले में लालू को उपरोक्त धारा के अनुसार 10 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 123, भारतीय दंड संहिता की धारा 328 के समरूप है।
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Section 123 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 123
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What is 123 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 123 के तहत अपराधी को 10 साल तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।
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What is the fine under section 123 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 123 में जुर्माने की राशि निश्चित नहीं की गई है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।
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Is 123 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 123 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ है।
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Is 123 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 123 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘गैर-जमानतीय’ हैं।
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123 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 123 के अंतर्गत किए गए अपराधों की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ में की जाती है।
Difficult words of BNS Section 123
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
आघात | प्रहार करके चोट पंहुचना |
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