Section 124 BNS: अम्ल, आदि का प्रयोग करके स्वेच्छा से घोर उपहति कारित करना।

Section 124 BNS | BNS 124

124(1) BNS | BNS 124(1)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 124(1) के अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग या किन्हीं भागों पर अम्ल फेंक कर या उसे अम्ल देकर या किन्हीं अन्य साधनों का प्रयोग करके जानबूझकर या ऐसी क्षति होने की संभावना का ज्ञान रखने के बाद भी आघात करे या किसी व्यक्ति के शरीर के किसी भाग या भागों को स्थाई या आंशिक क्षति पंहुचाता है, विकृत या अक्षम बनाता है या जलाता है या अपंग बनाता है या अन्य साधनों का उपयोग करके घोर आघात पहुंचता है, तो ऐसा आघात पहुंचाने वाले व्यक्ति को 10 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकेगी और वह जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

परंतु ऐसा जुर्माना पीड़ित के उपचार के चिकित्सीय खर्चों को पूरा करने के लिए न्यायोचित और युक्तियुक्त होगा, इस उपधारा के तहत लगाया गया कोई भी जुर्माना पीड़ित को दिया जाएगा।

उदाहरण: भूरा चमेली से प्रेम करता है और उससे शादी करना चाहता है, लेकिन चमेली किसी दूसरे व्यक्ति से प्रेम करती है और इसलिए वह भूरा से शादी करने को मना कर देती है, भूरा यह बर्दाश्त नहीं कर पाता और योजना के तहत चमेली के चेहरे पर तेजाब फेंक कर उसका चेहरा जला देता है, ऐसे मामले में भूरा को उपरोक्त उपधारा के अनुसार 10 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकेगी और वह जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

124(2) BNS | BNS 124(2)

भारतीय न्याय संहिता की धारा 124(2) के अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति को स्थाई या आंशिक नुकसान पहुंचाने या अंग विकार करने या जलाने या विकलांग बनाने या विरूपित करने या स्थाई रूप से कोमा में पँहुचाना या घोर आघात पंहुचाने के इरादे से उस व्यक्ति पर अम्ल फेंकेगा या फेंकने का प्रयास करेगा या किसी व्यक्ति को अम्ल देगा या अम्ल देने का प्रयास करेगा तो ऐसे आघात के प्रयत्न करने वाले व्यक्ति को 5 वर्ष से 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकेगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

उदाहरण: लालू एक पुरुष है शीला से दोस्ती थी, शीला लालू के अलावा भी एक दूसरे लड़के कालू से प्रेम भरी बातें करती थी, एक दिन लालू ने शीला को कालू से बात करते हुए देखा तो उसने गुस्से में आकर चमेली के चेहरे पर तेजाब फेंकने का प्रयास किया लेकिन चमेली वहां से हट गई और उस पर तेजाब नहीं गिर पाया, ऐसे मामले में लालू को उपरोक्त उपाधारा के अनुसार 5 वर्ष से 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकेगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।

स्पष्टीकरण 1: इस धारा में इस्तेमाल “एसिड” में ऐसा कोई भी पदार्थ शामिल है जिसमें अम्लीय या संक्षारक प्रकृति या जलन प्रकृति होती है, जो शारीरिक चोट का कारण बन सकता है, जिससे निशान या विकृति या अस्थायी या स्थायी दिव्यांगता हो सकती है।

स्पष्टीकरण 2: इस धारा में इस्तेमाल शब्द जैसे: स्थायी या आंशिक क्षति या विकृति या स्थायी रूप से कोमा जैसी अवस्था को अपरिवर्तनीय होने की आवश्यकता नहीं होगी।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 124, भारतीय दंड संहिता की धारा 326-A और 326-B के समरूप है।

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Section 124 of BNS Bare Act

Section 124 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 124

  1. What is 124 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 124(1) के तहत 10 वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है और धारा 124(2) के तहत 5 वर्ष से 7 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है।

  2. What is the fine under section 124 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    भारतीय न्याय संहिता की धारा 124 में जुर्माने की राशि निश्चित नहीं की गई है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।

  3. Is 124 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 124(1) और 124(2) के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ है।

  4. Is 124 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 124(1) और 124(2) के अंतर्गत किए गए अपराध ‘गैर-जमानतीय’ है।

  5. 124 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 124(1) और 124(2) के अंतर्गत किए गए अपराधों की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ में की जाती है।

Difficult words of BNS Section 124

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
उपहति/आघातप्रहार करके चोट पंहुचना
आंशिक नुकसान थोड़ा सा नुकसान
विरूपित करना रूप बिगाड़ देना

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