Section 227 BNS: मिथ्या साक्ष्य देना

Section 227 BNS | BNS 227

जो कोई शपथ द्वारा या विधि के किसी स्पष्ट प्रावधान द्वारा सत्य कथन करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होते हुए या किसी विषय पर घोषणा करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होते हुए कोई ऐसा कथन करता है, जो मिथ्या है और इसके बारे में वह या तो जानता है या उसे विश्वास है, कि वह कथन मिथ्या है या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, वह मिथ्या साक्ष्य देने का दोषी हो सकेगा।

स्पष्टीकरण 1: कोई कथन चाहे वह मौखिक हो, या अन्यथा किया गया हो, इस धारा के अंतर्गत आता है।

स्पष्टीकरण 2: प्रमाणित करने वाले व्यक्ति के अपने विश्वास के बारे में मिथ्या कथन इस धारा के अर्थ के अंतर्गत आता है और कोई व्यक्ति यह कहने से कि उसे उस बात का विश्वास है, जिस बात का उसे विश्वास नहीं है तथा यह कहने से कि वह उस बात को जानता है, जिस बात को वह नहीं जानता, मिथ्या साक्ष्य देने का दोषी हो सकेगा।

उदाहरण: भूरा ने न्यायालय में विधि द्वारा सत्य कथन करने की शपथ लेकर बोला कि उसने कालू को दिल्ली शहर में लूटपाट करते देखा था, जबकि वह उस विषय में कुछ नहीं जानता था। इस मामले में कहा जाएगा कि भूरा ने मिथ्या साक्ष्य दिया।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 227, भारतीय दंड संहिता की धारा 191 के समरूप है।

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Section 227 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

Difficult words of BNS Section 227

शब्दसरल अर्थ
मिथ्या झूठा

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