Section 228 BNS: मिथ्या साक्ष्य गढ़ना

Section 228 BNS | BNS 228

जो कोई इस इरादे से किसी परिस्थिति को पैदा करता है या किसी पुस्तक या अभिलेख या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में कोई झूठी एंट्री करता है या कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख बनाता है, जिसमें झूठा कथन होता है जिसका आशय यह है कि ऐसी परिस्थिति, झूठी एंट्री या झूठ कथन किसी न्याय कार्यवाही में या किसी लोक सेवक के समक्ष या किसी मध्यस्थ के समक्ष विधि द्वारा की गई कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल हो सके

और ऐसी परिस्थिति, झूठी एंट्री या झूठे कथन के कारण कोई व्यक्ति, जिसे ऐसी कार्यवाही में साक्ष्य के आधार पर राय कायम करनी है, ऐसी कार्यवाही के परिणाम से संबंधित किसी बिंदु पर गलत राय बनाने का कारण बन सके, उसे मिथ्या साक्ष्य गढ़ना कहा जाता है।

उदाहरण: लालू एक व्यापारी है और वह अपनी दुकान की बही में एक झूठी एंट्री इस उद्देश्य से करता है कि वह उस झूठी एंट्री को न्यायालय में साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल कर सके। इस मामले में लालू ने मिथ्या साक्ष्य गढ़ा है।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 228, भारतीय दंड संहिता की धारा 192 के समरूप है।

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Section 228 of BNS Bare Act

Section 228 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

Difficult words of BNS Section 228

शब्दसरल अर्थ
अभिलेखरिकॉर्ड
मिथ्या झूठा

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