Section 231 BNS: आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के आशय से मिथ्या साक्ष्य देना या गढ़ना

Section 231 BNS | BNS 231

जो कोई भारत में उस समय लागू कानून के द्वारा आजीवन कारावास या 7 वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास के लिए (लेकिन मृत्यु से दंडनीय अपराध न हो) किसी व्यक्ति को दोषसिद्ध करने की आशय से कोई मिथ्या साक्ष्य देगा या गढ़ेगा या यह संभाव्य जानते हुए कि वह किसी व्यक्ति को ऐसे अपराध के लिए दोषसिद्ध कराएगा, तो उसे वैसे ही दंडित किया जाएगा जैसे वह व्यक्ति दंडनीय होता जो उस अपराध के लिए दोषसिद्ध होता।

उदाहरण: लाल सिंह न्यायालय के समक्ष झूठा साक्ष्य प्रस्तुत करता है, जिससे वह भूरा को डकैती का दोषी ठहरना चाहता है। क्योंकि डकैती की सजा जुर्माने सहित आजीवन कारावास या 10 साल तक का कठोर कारावास हो सकती है, अतः लाल सिंह को इसी प्रकार की सजा से दंडित किया जाएगा।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 231, भारतीय दंड संहिता की धारा 195 के समरूप है।

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Section 231 of BNS Bare Act

Section 231 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 231

  1. What is 231 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 231 के तहत अपराधी को वैसी ही सजा से दण्डित किया जाता है, जिस प्रकार की सजा दिलाने के उद्देश्य से मिथ्या साक्ष्य दिया गया था।

  2. What is the fine under section 231 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 231 के तहत अपराधी को वैसे ही जुर्माने से दण्डित किया जाता है, जिस प्रकार की सजा दिलाने के उद्देश्य से मिथ्या साक्ष्य दिया गया था।

  3. Is 231 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 231 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘असंज्ञेय’ हैं।

  4. Is 231 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 231 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘ग़ैर-जमानतीय’ हैं।

  5. 231 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 231 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ करता है।

Difficult words of BNS Section 231

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।

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