Section 233 BNS: उस साक्ष्य को काम में लाना जिसका मिथ्या होना ज्ञात है।

Section 233 BNS | BNS 233

जो कोई किसी ऐसे साक्ष्य को, जिसके बारे में वह जानता है कि वह झूठा है या गढ़ा हुआ है, उसे भ्रष्ट तरीके से सच्चे या वास्तविक साक्ष्य के रूप में उपयोग करेगा या उपयोग करने का प्रयास करेगा, उसे उसी तरह से दंडित किया जाएगा जैसे कि उसने झूठा साक्ष्य दिया हो या गढ़ा हो।

उदाहरण: भूरा जानबूझकर एक गलत वैज्ञानिक या फॉरेंसिक रिपोर्ट को अदालत में प्रस्तुत करता है ताकि किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सके, जबकि भूरा जानता था कि वह रिपोर्ट गलत है, ऐसे मामले में भूरा को उपरोक्त धारा के अनुसार दण्डित किया जाएगा।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 233, भारतीय दंड संहिता की धारा 196 के समरूप है।

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Section 233 of BNS Bare Act

Section 233 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 233

  1. What is 233 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 233 के तहत अपराधी को उसी तरह से दंडित किया जाएगा जैसे कि उसने झूठा साक्ष्य दिया हो या गढ़ा हो।

  2. What is the fine under section 233 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 233 के तहत अपराधी को वैसे ही जुर्माने से दण्डित किया जाता है, जो झूठा साक्ष्य देने या गढ़ने के लिए लगाया जाता है।

  3. Is 233 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 233 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘असंज्ञेय’ हैं।

  4. Is 233 BNS bailable or not?

    इसके अनुसार तय किया जाएगा कि ऐसा साक्ष्य देने का अपराध ‘जमानतीय’ है या ‘गैर-जमानतीय’।

  5. 233 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 233 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई वह न्यायलय करेगा, जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष्य देने या गढ़ने का अपराध विचारणीय है।

Difficult words of BNS Section 233

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।

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