Section 236 BNS | BNS 236
जो कोई, अपने द्वारा की गई घोषणा या हस्ताक्षरित किसी घोषणा में, जिसे किसी तथ्य के साक्ष्य के रूप में लेने के लिए कोई न्यायालय, या कोई लोक सेवक या कोई अन्य व्यक्ति विधि द्वारा आबद्ध या प्राधिकृत है, कोई ऐसा कथन करता है, जो किसी ऐसी बात के संबंध में जो उस उद्देश्य के लिए तात्विक हो जिसके लिए वह घोषणा की जाए या उपयोग में लाई जाए, मिथ्या है और जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है या जिसके सत्य होने का उसे विश्वास नहीं है, तो वह उसी प्रकार दंडित किया जाएगा मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।
उदाहरण: भूरा ने अपने भाई लालू पर चल रहे बलात्कार के मुकदमे में अपने झूठे लिखित बयान दिए कि लालू उस घटना वाले दिन शहर से बहार था लेकिन लैब रिपोर्ट से सिद्ध हो गया कि वह बलात्कार लालू ने ही किया था, क्यूंकि भूरा ने अपने हस्ताक्षरित झूठे बयान दिए थे तो भूरा को उपरोक्त धारा के अनुसार दंडित किया जाएगा।
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 236, भारतीय दंड संहिता की धारा 199 के समरूप है।
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Section 236 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 236
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What is 236 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 236 के तहत अपराधी को ऐसे दंडित किया जाएगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।
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What is the fine under section 236 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
बीएनएस की धारा 236 के तहत अपराधी को उसी प्रकार के जुर्माने से दंण्डित किया जाएगा, मानों उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।
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Is 236 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 236 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘असंज्ञेय’ हैं।
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Is 236 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 236 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘जमानतीय’ हैं।
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236 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 236 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई वह न्यायालय करता है, जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष्य देने का अपराध विचारणीय है।
Difficult words of BNS Section 236
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
आबद्ध | बाध्य |
प्राधिकृत | विधि द्वारा अधिकार प्राप्त |
मिथ्या | झूठा |
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