Section 237 BNS: किसी झूठी घोषणा के बारे में जानते हुए भी उसे सत्य के रूप में काम में लाना

Section 237 BNS | BNS 237

जो कोई किसी ऐसी घोषणा को, यह जानते हुए कि वह घोषणा किसी तात्विक बात के संबंध में मिथ्या है, भ्रष्टतापूर्वक सत्य के रूप में उपयोग में लेगा या उपयोग में लाने का प्रयत्न करेगा, तो उस व्यक्ति को उसी प्रकार दंडित किया जाएगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।

स्पष्टीकरण: कोई घोषणा जो केवल किसी अनौपचारिकता के आधार पर अमान्य है, धारा 236 और धारा 237 के अर्थ के अंतर्गत वह घोषणा मानी जाएगी

उदाहरण: भूरा और कालू भाई-भाई हैं, कालू पर चोरी का मुकदमा चल रहा था, भूरा ने कालू को बचाने के लिए झूठे गवाह के लिखित बयान को न्यायालय में पेश किया, ऐसे मामले में भूरा को उपरोक्त धारा के अनुसार दंडित किया जाएगा।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 237, कुछ परिवर्तनों के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 200 के समरूप है।

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Section 237 of BNS Bare Act

Section 237 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 237

  1. What is 237 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 237 के तहत अपराधी को ऐसे दंडित किया जाएगा, मानो उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।

  2. What is the fine under section 237 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 237 के तहत अपराधी को उसी प्रकार के जुर्माने से दंण्डित किया जाएगा, मानों उसने मिथ्या साक्ष्य दिया हो।

  3. Is 237 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 237 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘असंज्ञेय’ हैं।

  4. Is 237 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 237 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘जमानतीय’ हैं।

  5. 237 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 237 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई वह न्यायालय करता है, जिसके द्वारा मिथ्या साक्ष्य देने का अपराध विचारणीय है।

Difficult words of BNS Section 237

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
मिथ्या झूठा

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