Section 303 BNS | BNS 303
303(1) BNS | BNS 303(1) | Theft Definition
भारतीय न्याय संहिता की धारा 303(1) के अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति के कब्जे से किसी चल संपत्ति को उस व्यक्ति की सहमति के बिना बेईमानी से छीनने का आशय रखता है, और ऐसा करने के लिए उस संपत्ति को वहां से हटा लेता है, तो यह कहा जाएगा कि उस व्यक्ति ने चोरी की है।
स्पष्टीकरण 1: जब तक कोई वस्तु जमीन से जुड़ी रहती है, चल संपत्ति न होने के कारण वह चोरी की वस्तु नहीं होती; किंतु जैसे ही वह वस्तु जमीन से अलग हो जाती है, वह चोरी का विषय होने योग्य हो जाती है।
उदाहरण: भूरा के खेत में आम के 4 पेड़ लगे थे, लालू वो सभी 4 पेड़ काटकर ले गया, तो कहा जायेगा कि लालू ने 4 पेड़ की चोरी की है।
स्पष्टीकरण 2: किसी वस्तु या जीव को हटाने से सम्बंधित क्रिया को भी चोरी ही कहा जाएगा।
उदाहरण: भूरा के पास एक भैंस है जो उसके प्लाट में बंधी रहती है, कालू उसे चुराने की नीयत से रात में एक बड़ी गाड़ी लेकर आता है और भूरा के प्लाट के पास खड़ी करके भैंस को खोलने के लिए भूरा के प्लाट में घुस जाता है, लेकिन भूरा कालू को चोरी करने से पहले ही पकड़ लेता। इस मामले में कालू ने चोरी नहीं की लेकिन उस पर चोरी की धारा लगेगी।
स्पष्टीकरण 3: किसी वस्तु को हटाने के लिए किसी व्यक्ति द्वारा उस बाधा को हटाना, जो उस वस्तु को हटाने से रोक रही हो या उसे किसी अन्य वस्तु से अलग करने को वास्तव में हटाना ही कहा जाता है।
उदाहरण: भूरा की पार्किंग में एक डिफेंडर कार खड़ी रहती थी, लालसिंह उस कार को चुराना चाहता था लेकिन वहां CCTV कैमरा होने की वजह से वो उस गाड़ी को चुरा नहीं पा रहा था, एक दिन उसने CCTV कैमरे को तोड़ने की कोशिश की लेकिन भूरा समय पर वहां पंहुच गया और उसने लालसिंह को दबोचकर पुलिस के हवाले कर दिया। इस मामले में लालसिंह ने चोरी नहीं की लेकिन उस पर चोरी की धारा लगेगी।
स्पष्टीकरण 4: वह व्यक्ति जो किसी भी साधन से किसी पशु को हटाता है, चोरी कहलाएगी। इसके अलावा ऐसे किसी जीव जंतु के माध्यम से किसी मूलयवान वस्तु को ले जाने पर भी यह कहा जायेगा कि उसने चोरी की है।
उदाहरण: भूरा का एक पालतू कुत्ता जो खेत से घर के लिए भूरा के आदेश पर कुछ कीमती जेवर लिए जा रहा था, हीरा उस कुत्ते को उसकी पसंद के महंगे बिस्कुट खिलाकर अपने घर ले गया और सारे जेवर प्राप्त कर लिए, ऐसे मामले में कहा जायेगा कि हीरा ने चोरी की है।
स्पष्टीकरण 5: इस धारा में उल्लिखित सहमति व्यक्त या निहित हो सकती है। सहमति या तो उस व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है जिसके पास कब्जा है या उस उद्देश्य के लिए व्यक्त या निहित अधिकार रखने वाले किसी भी व्यक्ति द्वारा दी जा सकती है।
उदाहरण: भूरा के पास एक भैंस है, वह उस भैंस को लाला को बेच सकता है, क्यूंकि भूरा के पास उसकी भैंस का कब्ज़ा है, अर्थात वह उसका मालिक हुआ।
303(2) BNS | BNS 303(2) | Theft Punishment
भारतीय न्याय संहिता की धारा 303(2) के अनुसार, जो कोई चोरी करेगा तो पहली बार ऐसा अपराध करने पर उसे 3 वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा और दूसरी बार ऐसा अपराध करने पर उसे 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
परंतु चोरी के उन मामलों में जहां चोरी की गई संपत्ति का मूल्य ₹5000 से कम है और किसी व्यक्ति ने पहली बार ऐसा अपराध किया है तो उस चोरी की गई संपत्ति को वापस लौटाने पर या संपत्ति का मूल्य चुकाने पर सामुदायिक सेवा से दंडित किया जाएगा।
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 303, कुछ परिवर्तनों के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 378 एवं 379 के समरूप है।
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Section 303 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 303
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What is 303 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 303 के तहत पहली बार अपराध करने पर 3 वर्ष तक के कारावास से, दूसरी बार ऐसा अपराध करने पर 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के कारावास से और यदि चोरी की संपत्ति का मूल्य 5000 रूपये से कम है तो उस चोरी की गई संपत्ति को वापस लौटाने पर या संपत्ति का मूल्य चुकाने पर सामुदायिक सेवा से दंडित किया जाएगा।
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What is the fine under section 303 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
बीएनएस की धारा 303 में जुर्माने की राशि नहीं बताई गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है, यदि मामला 5000 रूपये से कम की चोरी का है तो ऐसे मामले के लिए जुर्माने की बात नहीं कही गयी है।
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Is 303 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 303 के अंतर्गत किये गए अपराध ‘असंज्ञेय’ हैं, लेकिन यदि मामला 5000 रूपये से कम की चोरी का है तो ऐसे अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।
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Is 303 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 303 के अंतर्गत किये गए अपराध ‘ग़ैर-जमानतीय’ हैं, लेकिन यदि मामला 5000 रूपये से कम की चोरी का है तो ऐसे अपराध ‘जमानतीय’ हैं।
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303 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 303 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘कोई मजिस्ट्रेट’ कर सकता है।
Difficult words of BNS Section 303
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर-जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
चल संपत्ति | जिस संपत्ति को उठाकर कहीं दूसरी जगह ले जाया जा सके। |
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