Section 309 BNS | BNS 309
309(1) BNS | BNS 309(1)
भारतीय न्याय संहिता की धारा 309(1) के अनुसार, सभी प्रकार की लूट में या तो चोरी या जबरन वसूली होती है।
309(2) BNS | BNS 309(2)
चोरी ‘लूट’ कहलाएगी, यदि चोरी करने के लिए या चोरी करते समय या चोरी से प्राप्त संपत्ति को ले जाते समय या ले जाने का प्रयास करने के लिए, अपराधी स्वेच्छा से किसी व्यक्ति की मृत्यु या आघात या बुरे इरादे से रोकने या तत्काल मृत्यु या तत्काल आघात या तत्काल बुरे इरादे से रोकने का भय पैदा करता है या भय पैदा करने का प्रयास करता है।
उदाहरण: लालू अपने शहर के एक रईस व्यक्ति भल्ला के घर चोरी करने के उद्देश्य गया और चुपके से उसके कीमती जेवरात चुराने लगा, उसी वक्त भल्ला वहां आ गया और उसने लालू को पकड़ने की कोशिश की लेकिन लालू ने भल्ला को तमंचा दिखाते हुए कहा कि यदि उसने लालू को नहीं जाने दिया तो वह उसे गोली मार देगा। जैसे ही लालू ने तमंचा निकालकर भल्ला को जान से मारने की धमकी दी, यह मामला चोरी से लूट में बदल गया।
309(3) BNS | BNS 309(3)
जबरन वसूली ‘लूट’ कहलाएगी, यदि अपराधी जबरन वसूली करते समय भयभीत व्यक्ति की उपस्थिति में हो और उस व्यक्ति को या उससे जुड़े किसी दूसरे व्यक्ति को तत्काल मृत्यु या तत्काल आघात या तत्काल बुरे इरादे से रोकने का भय दिखाकर जबरन वसूली करता है और इस प्रकार, उस व्यक्ति को भय में डालकर जबरन वसूल की गई वस्तु को वहीं सौंपने के लिए प्रेरित करता है।
स्पष्टीकरण: अपराधी का उपस्थित होना कहा जाएगा, यदि वह उस अन्य व्यक्ति को तत्काल मृत्यु या तत्काल आघात या तत्काल बुरे इरादे से रोकने की भय में डालने के लिए पर्याप्त रूप से निकट हो।
उदाहरण: कालू अपने गांव के सुनसान रास्ते पर रात में अकेला खड़ा था, उसी रस्ते से दूसरे गांव के एक रईस व्यक्ति भूरा गुजर रहा था, कालू ने भरा को अकेली पाकर जबरन वसूली करके उसके पैसे छीनने की कोशिश की, भूरा के पैसे न देने पर कालू ने तमंचा निकालकर उसे जान से मारने की धमकी दी। जैसे ही कालू ने तमंचा निकालकर भूरा को जान से मारने की धमकी दी, यह मामला जबरन वसूली से लूट में बदल गया।
309(4) BNS | BNS 309(4)
जो कोई ‘लूट’ करेगा, उसे 10 वर्ष तक के कठोर कारवास से दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा, और यदि लूट राजमार्ग पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की गई हो, तो कारवास 14 वर्ष तक का हो सकेगा।
309(5) BNS | BNS 309(5)
जो कोई ‘लूट’ करने का प्रयत्न करेगा, उसे 7 वर्ष तक के कठोर कारवास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
309(6) BNS | BNS 309(6)
यदि कोई व्यक्ति लूट करने या लूट करने का प्रयास करते समय स्वेच्छा से किसी को आघात पहुंचता है, तो ऐसा व्यक्ति या कोई अन्य व्यक्ति जो ऐसी लूट करने में या लूट का प्रयास करने में संयुक्त रूप से शामिल हो, तो उसे आजीवन कारावास से या 10 वर्ष तक के कठिन कारावास से दंडित किया जाएगा और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 309, कुछ परिवर्तनों के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 390, 392, 393 एवं 394 के समरूप है।
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Section 309 of BNS Bare Act
FAQs from BNS Section 309
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What is 309 BNS punishment?
बीएनएस की धारा 309(4) के तहत अपराधी को 10 साल तक के कठोर कारवास से दंडित किया जाएगा और यदि लूट राजमार्ग पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की गई हो, तो कारवास 14 वर्ष तक का हो सकेगा,
धारा 309(5) के तहत 7 साल तक के कठोर कारावास से,
और धारा 309(6) के तहत आजीवन कारावास से या 10 वर्ष तक के कठिन कारावास से दंडित किया जा सकता है। -
What is the fine under section 309 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?
बीएनएस की धारा 309(4) में जुर्माने की राशि का कोई जिक्र नहीं किया गया है तथा धारा 309(5) और धारा 309(6) में जुर्माने की राशि निश्चित नहीं की गयी है, इस जुर्माने की राशि को मामले की सुनवाई के वक़्त न्यायाधीश स्वयं तय करता है।
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Is 309 BNS a cognizable or non-cognizable offence?
बीएनएस की धारा 309 की सभी उपधाराओं के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।
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Is 309 BNS bailable or not?
बीएनएस की धारा 309 की सभी उपधाराओं के अंतर्गत किए गए अपराध ‘ग़ैर-जमानतीय’ हैं।
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309 BNS offence is triable by which Court?
बीएनएस की धारा 309 की सभी उपधाराओं के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘प्रथम वर्ग का मजिस्ट्रेट’ करता है।
Difficult words of BNS Section 309
शब्द | सरल अर्थ |
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संज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है। |
असंज्ञेय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता। |
जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
गैर-जमानतीय अपराध | ऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं। |
स्वेच्छा से | खुद की इच्छा से/जानबूझकर |
उपहति/आघात | प्रहार करके चोट पंहुचना |
तत्काल | उसी वक़्त |
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