Section 311 BNS: मृत्यु या घोर आघात करने के प्रयत्न के साथ लुट या डकैती

Section 311 BNS | BNS 311

यदि लूट या डकैती करते समय अपराधी किसी घातक हथियार का उपयोग करेगा या किसी व्यक्ति को घोर आघात पहुंचाएगा या किसी व्यक्ति की मृत्यु करने या उसे घोर आघात पहुंचाने का प्रयत्न करेगा, तो उसे ऐसे कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि 7 वर्ष से कम नहीं होगी।

उदाहरण: भूरा एक बदमाश प्रवृत्ति का व्यक्ति है, एक दिन उसने अपने गांव के पास सुनसान रस्ते पर एक व्यक्ति को अकेले जाते हुए देखा, तो उसने उस व्यक्ति को रोककर कहा कि अपना मोबाइल और सारे पैसे उसे देदे, नहीं तो वह उसे चाकू से मार देगा, उस व्यक्ति ने निडर स्वभाव से अपना सामान देने से मना कर दिया, इसे सुनते ही भूरा ने उस व्यक्ति पर चाकू से हमला कर दिया। ऐसे मामले में भूरा के पकडे जाने पर उपरोक्त उपधारा के अनुसार उसे ऐसे कारावास से दण्डित किया जाएगा, जो 7 साल से कम नहीं होगा।

नोट: भारतीय न्याय संहिता की धारा 311, भारतीय दंड संहिता की धारा 397 के समरूप है।

READ OTHER SECTIONS OF CHAPTER XVII — OF OFFENCES AGAINST PROPERTY

Section 311 of BNS Bare Act

Section 311 of The Bharatiya Nyaya Sanhita Bare Act

FAQs from BNS Section 311

  1. What is 311 BNS punishment?

    बीएनएस की धारा 311 के तहत अपराधी को 7 साल से अधिक समय के कारावास से दण्डित किया जाएगा।

  2. What is the fine under section 311 of the Bharatiya Nyaya Sanhita?

    बीएनएस की धारा 311 में जुर्माने की राशि की बात नहीं कही गयी है।

  3. Is 311 BNS a cognizable or non-cognizable offence?

    बीएनएस की धारा 311 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘संज्ञेय’ हैं।

  4. Is 311 BNS bailable or not?

    बीएनएस की धारा 311 के अंतर्गत किए गए अपराध ‘ग़ैर-जमानतीय’ हैं।

  5. 311 BNS offence is triable by which Court?

    बीएनएस की धारा 311 के अंतर्गत किए गए अपराध की सुनवाई ‘सेशन कोर्ट’ करता है।

Difficult words of BNS Section 311

शब्दसरल अर्थ
संज्ञेय अपराध ऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकता है।
​असंज्ञेय अपराधऐसे अपराध जिनमें कोई पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकता।
जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत मिल जाती है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
गैर-जमानतीय अपराधऐसे अपराध जिनमें पुलिस थाने से सीधे जमानत नहीं मिलती, बल्कि न्यायलय में मामले की सुनवाई के बाद न्यायाधीश इसका फैंसला करता है कि जमानत कब मिलेगी, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की प्रथम अनुसूची में सभी गैर जमानतीय अपराध दिए गए हैं।
उपहति/आघात प्रहार करके चोट पंहुचना

Read Other Latest Posts Below

Reference Links:

Leave a comment